google-site-verification: googlea24dc57d362d0454.html श्री कृष्ण वाणी (श्री भगवद्गीता गीता)

श्री कृष्ण वाणी (श्री भगवद्गीता गीता)

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श्री कृष्ण वाणी 
      जय श्री राधे कृष्ण। मित्रों इस दिव्य यात्रा में आपका स्वागत है। हे कृष्ण जो भी भक्त आज इस वाणी को पढ रहे हैं उनके जीवन में आपकी कृपा बनी रहे और हर कठिनाई दूर हो। तो दोस्तों आइए बिना देरी किए श्री कृष्ण के अमृत उपदेशों की इस अद्भुत यात्रा को शुरू करते हैं। 
       श्री कृष्ण कहते हैं खुश रहना है तो जिंदगी के फैसले अपनी परिस्थितियों को देख कर ले। दुनिया को देखकर जो फैसले लेते हैं वह दुखी ही रहते हैं। कोई कुछ भी कहे बस अपने आप को शांत रखो। क्योंकि सूरज की किरणें कितनी भी तेज क्यों ना हो समुद्र को सुखा नहीं सकते। एक पंछी ने शिकायत की कि हे मेरे ईश्वर बड़ी मुश्किल से मैंने घोंसला बनाया था। आपने तूफान भेज दिया और मेरा घर उजड़ गया। ऊपर से आवाज आई। तेरे घोंसले में सांप आया था तुझे खाने के लिए। 
       इसलिए तूफान भेजा था ताकि तुम जाग जाओ और उड़ सको और तुम्हारी जान सुरक्षित रहे। हमारी जिंदगी में कितनी मुसीबतें आती हैं। हमें पता भी नहीं होता कि हमारा परमात्मा हमें किस तरह परेशानी से बचाता है। अगर तुम्हें लगता है कि परमात्मा तुम्हें कष्ट के पास ले आए हैं तो भरोसा रखिए। वह तुम्हें कष्ट के पार भी ले जाएंगे। मन की पीड़ा का कोई अंत नहीं। इसलिए दूसरों को कोसने से कोई लाभ नहीं है। इसका सबसे सरल उपाय है कि अपने मन को ईश्वर को समर्पित कर दो। ईश्वर के साथ जुड़ते ही जीवन में खुशियों का, सुकून का, संयम का, सहनशक्ति का, प्रेम का, नई ऊर्जा का, जीवन के सही राह का, संतुष्टि का आरंभ जरूर हो जाता है। और हमारा मन पीड़ा से कैसे मुक्त होता है। पता भी नहीं चलता। अगर प्रभु तुमसे ज्यादा इंतजार करवा रहे हैं, तो तैयार रहना। वह उससे कहीं ज्यादा देने वाले हैं जितना तुमने मांगा है। 
        जिस तरह लोग मुर्दे इंसान को कंधा देना पुण्य समझते हैं। काश इस तरह जिंदा इंसान को सहारा देना पुण्य समझने लगते तो जिंदगी आसान हो जाती। मत सोच इतना कि जिंदगी के बारे में जिसने जिंदगी दी है उसने भी तो कुछ सोचा होगा ना। आपका बीता हुआ कल भले ही कष्टों से भरा हुआ हो पर आने वाला कल आपके हाथों में है। मन अंधा होता है। इसके पास अपना कोई ज्ञान नहीं होता। मन कुछ नहीं जानता और ना ही सही मार्गदर्शन करता है। इसलिए आप अंधे मन की बातें मानकर जरूरी कामों को टालना बंद कीजिए। आप हमेशा अपनी बुद्धि से काम लीजिए। मन से नहीं क्योंकि अंधा मन हमेशा आपको जरूरी कामों को करने से रोक देता है। जब आप बुद्धि के जरिए जरूरी कामों को करना शुरू कर देंगे तो धीरे-धीरे आपका मन आपका मित्र बनता चला जाएगा। लेकिन अभी आपका मन आपका दुश्मन बना हुआ है जो आपको दिन पर दिन बर्बाद कर रहा है। मुंह पर सच बोल देने और गुस्सा कर लेने वाले लोग उन लोगों से करोड़ों गुना बेहतर है जो आपके सामने कुछ और हैं। पीठ पीछे कुछ और है। किसी का दर्द समझने के लिए इंसान के अंदर का इंसान होना जरूरी है। कौवा कोयल की आवाज को दबा सकता है। 
      मगर खुद की आवाज मधुर नहीं बना सकता। उसी तरह निंदा करने वाला व्यक्ति सज्जन को बदनाम कर सकता है। मगर खुद सज्जन नहीं बन सकता। अगर अकेलापन है तो उसे एक वरदान समझो क्योंकि परमात्मा ने तुम्हें खुद में सुधार लाने का थोड़ा अधिक समय दे दिया है। अकेले रहने का आनंद लेना सीखें क्योंकि कोई भी हमेशा के लिए आपके साथ नहीं रहेगा। वक्त की एक आदत बहुत अच्छी है। जैसा भी हो गुजर जाता है। कामयाब इंसान खुश रहे ना रहे। खुश रहने वाला इंसान कामयाब जरूर हो जाता है। जब सुखी हो तो भगवान को मत भूलना और जब दुखी हो तो भगवान पर विश्वास रखना। लोग रंग बदलते हैं। मुरली वाला वक्त बदल देता है। मनुष्य का जीवन केवल उसके कर्म पर चलता है। जैसे कर्म होते हैं, वैसे ही उसका जीवन होता है। जो किया है, वह अवश्य सामने आएगा। क्योंकि कर्म किसी के सगे नहीं होते। जिंदगी बहुत हसीन है। कभी हंसाती है तो कभी रुलाती है। लेकिन जो जिंदगी की भीड़ में खुश रहता है, जिंदगी उसी के आगे सिर झुकाती है। खोकर पाने का मजा ही कुछ और है। रोकर हंसने का मजा ही कुछ और है। हारना तो जिंदगी का हिस्सा होता है। लेकिन हारने के बाद जीतने का मजा ही कुछ और है। अच्छा बनने के लिए किसी की नकल करने की जरूरत नहीं। खुद इतना अच्छा बनो कि लोग आपकी नकल करने लगे। जिंदगी एक बार मिलती है गलत है बल्कि मौत सिर्फ एक बार मिलती है। जिंदगी तो हर रोज मिलती है। 
         जिस दिन आप आपकी हंसी के मालिक खुद बन जाओगे आपको कोई भी नहीं रुला सकता। अगर कोई आपसे कुछ मांगे तो दे दिया करो क्योंकि भगवान ने आपको देने वालों में रखा है। मांगने वालों में नहीं। याद रखना अच्छे वक्त को देखने के लिए बुरे वक्त को भी झेलना पड़ता है। सेवा सबकी करो लेकिन आशा किसी से मत रखो क्योंकि सेवा का असली मूल्य भगवान ही देता है। हमेशा अपनी नजर उस चीज पर रखो जिसे तुम पाना चाहते हो। उस पर नहीं जिसे तुम खो चुके हो। अन्न और जल से बढ़कर कोई दान नहीं और माता-पिता से बढ़कर कोई देवता नहीं। जिंदगी का सबसे बड़ा गुरु मंत्र यही है। आप अपने राज किसी को ना बताएं। जरूरत से ज्यादा इज्जत और समय देने पर लोग आपको गिरा हुआ समझने लगते हैं। कभी पीठ पीछे आपकी बात हो रही हो तो घबराना मत क्योंकि बात उन्हीं की होती है जिनमें कोई बात होती है। याद रखना सफलता कभी मांगने से नहीं मिलती। मांगने से केवल भीख मिलती है। सफलता पाने के लिए तुम्हें खुद मेहनत करनी पड़ेगी। 
         छोटी-छोटी गलतियों से बचने का प्रयास करो। क्योंकि इंसान ठोकरे पहाड़ों से नहीं बल्कि छोटे-छोटे पत्थरों से खाता है। अपनी गलती माने बिना आप कभी भी बेहतर इंसान नहीं बन पाओगे। देना शुरू कर दो। आना खुद ही शुरू हो जाएगा। इज्जत भी और दौलत भी। याद रखना अपमान का बदला लड़ाई करके नहीं सामने वाले से अधिक सफल होकर लिया जा सकता है। बुरा करने का ख्याल आए तो कल पर टाल दो। अच्छा करने का ख्याल आए तो उसे आज ही कर डालो। साथ रहकर जो छल करे उससे बड़ा कोई शत्रु नहीं हो सकता। और जो हमारे मुंह होता परोसों के हमारी बुराई बता दे उससे बड़ा कोई मित्र नहीं हो सकता। याद रहे साफ-साफ बोलने वाला कड़वा जरूर होता है मगर विश्वासघाती नहीं। त्याग दो अपने बुरे कल को क्योंकि उसका प्रभाव आने वाले कल को दूषित कर देगा। जिंदगी जीने के दो तरीके हैं। एक तो जो पसंद है उसे हासिल करो और दूसरा जो हासिल है उसे तुम पसंद करना सीख लो। चीजों की कीमत मिलने से पहले होती है और इंसान की कीमत खो देने के बाद। मुफ्त में तो सिर्फ मां-बाप का प्यार मिलता है। बाकी इस दुनिया में हर रिश्ते के लिए कुछ ना कुछ चुकाना जरूर पड़ता है। बेइज्जती का जवाब इतनी इज्जत से दीजिए कि सामने वाला भी शर्मिंदा हो जाए। आप जब तक अपनी कठिनाइयों और समस्याओं का जिम्मेदार दूसरों को मानते रहोगे तब तक कभी भी आप अपनी समस्या और कठिनाइयों को नहीं मिटा सकते। 
            जितना ज्यादा हो सके सुनो और जितना हो सके उतना कम बोलो। इसलिए शायद भगवान ने हमें दो कान और एक ही मुंह दिया है। माफ बार-बार कीजिए। लेकिन विश्वास सिर्फ एक बार कीजिए। जिंदगी में कभी भी किसी को इतना महत्व मत दो कि वह तुम्हारे चेहरे से मुस्कान ही छीन ले। अपनी कामयाबी तो सिर्फ वही हासिल करता है जो वक्त और हालातों पर रोया नहीं करते। कुछ भी स्थाई नहीं है। अपने आप को बहुत अधिक तनाव ना दें। क्योंकि स्थिति चाहे कितनी भी खराब हो यह बदल जाएगी। वक्त के साथ-साथ बहुत कुछ बदल जाता है। लोग भी, रास्ते भी, एहसास भी और कभी हम खुद भी। जो तूने आज किया है वही तुम्हारे साथ भी होगा। यही नियति का नियम है। बनना है तो किसी की कमी बनो। जरूरत नहीं। जरूरत तो कोई भी पूरा कर सकता है। लेकिन कमी किसी की कोई भी पूरा नहीं कर सकता। किसी को कुछ दे ना सको तो बस दुआ किया करो क्योंकि दुआ वह तोहफा है जिसके लिए अमीर भी हाथ फैलाता है। 
           जहां लगे कि हमारी वजह से दूसरों को तकलीफ हो रही है वहां से हट जाना ही बेहतर है। छल, कपट और पाप उतना ही करना जितना आप भुगत सको। क्योंकि कुदरत किसी को नहीं छोड़ती। सबका हिसाब जमीन पर ही होता है। अगर आपका कोई दुश्मन नहीं है तो इसका मतलब आप उन जगहों पर भी खामोश थे जहां सत्य बोलना बहुत जरूरी था। प्रेम निशुल्क होते हुए भी इस धरती का सबसे महंगा सुख है। जिंदगी में अब तक इतना तो पता चल गया है कि कुछ गहरे रिश्ते होते हैं कमजोर लोगों से जो खिलौनों की तरह विश्वास तोड़ देते हैं। बारिश और धूप दोनों के मिलने से ही इंद्रधनुष बनते हैं। इसलिए खूबसूरत जिंदगी के लिए सुख और दुख दोनों ही जरूरी है। चिंता और तनाव में इंसान तभी होता है जब वह खुद के लिए कम और दूसरों के लिए ज्यादा जीता है। उस लम्हे को बुरा मत कहो जो आपको ठोकर पहुंचाता हो बल्कि उस लम्हे की कदर करो क्योंकि वह आपको जीने का अंदाज सिखाता है। आपकी सफलता में वह शामिल होते हैं जिन्हें आप चाहते हैं। आपके संघर्ष में वह शामिल होते हैं जो आपको चाहते हैं। निखरता वही है जो पहले सबसे ज्यादा बिखर चुका होता है। यही जीवन का सत्य है। कुछ गलत फैसले जिंदगी का सही मतलब सिखा देते हैं। रिश्ते बनाए रखने की सिर्फ एक ही शर्त है। किसी की कमियां नहीं। अच्छाई देखिए। जरूरत के बगैर लोगों का ख्याल रखना एक अच्छे व्यक्तित्व की पहचान होती है। हमेशा उम्मीद ईश्वर पर रखो। क्योंकि इस पूरी दुनिया में जितनी जल्दी ईश्वर राजी होता है, इतनी जल्दी कोई राजी नहीं होता। जिस व्यक्ति का मन शांत होता है, जो व्यक्ति बोलते और अपना काम करते समय शांत रहता है, वह वही व्यक्ति होता है जिसने सत्य को पा लिया और जो दुख तकलीफ से मुक्त हो चुका है।
            माचिस की तीली दूसरों को जलाने से पहले स्वयं जलती है। इस प्रकार हमारा गुस्सा भी माचिस की एक तीली की तरह है जो दूसरों को बर्बाद करने से पहले स्वयं को तीली की तरह बर्बाद करता है। समझदारी की बातें सिर्फ दो ही लोग करते हैं। एक वह जिसकी उम्र अधिक हो। दूसरा वह जिसने बहुत कम उम्र में बुरा वक्त देखा हो। इस दुनिया में जुनून जैसी कोई आग नहीं है। मूर्खता जैसी कोई जाल नहीं है। नफरत जैसा कोई दरिंदा नहीं है और लालच जैसी कोई धार नहीं है। गुण 36 नहीं केवल चार चाहिए। अच्छा व्यवहार, साफ नियत, नेक दिल और ईमानदारी। जिस दिन तुम जान जाओगे कि तुम्हारे अलावा इस दुनिया में कोई और नहीं, उस दिन से तुम्हारी असल जिंदगी शुरू हो जाएगी। अत्याधिक उम्मीदों को विराम दो। मन की शांति फिर से वापस लौट आएगी। कुछ लोग हमेशा हंसते रहते हैं कि या की पोपा क्योंकि उन्हें पता है कि उनका दर्द समझने वाला कोई नहीं है। किसी को दिल की बात बता भी देंगे तो वह मजाक ही बनाएगा। जो दूसरों का हक और खुशी छीन लेता है, उसके सुख की उम्र बहुत कम होती है। बहुत नम्रता चाहिए रिश्ते निभाने के लिए। छल कपट में तो सिर्फ महाभारत रची जाती है। हमेशा वह काम करें जो सही है। वह ना करें जो आसान है। गरीबी और गरीबी का सिखाया हुआ सबक इंसान को अंदर से बदलने पर मजबूर कर देता है। जिस तरीके से बात करते हो उस तरीके से सुनना भी पसंद करो। ईश्वर को अपना सबसे करीबी दोस्त बना लो। क्योंकि परमात्मा ही एक ऐसा है जो तब तक साथ देते हैं जब सारी दुनिया हमारा साथ छोड़ देती है। ऐसे लोगों से दोस्ती बनाए रखिए जो आपको बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता हो जो आपको अपनी जवाबदारी माने और आपका ख्याल रखे जो आपको अपना समझे और अपना घर जैसा महसूस कराए जो आपकी सहायता करें और आपको समझे। 
          मृत्यु के समय तुम्हारी कोई नहीं सुनेगा। कर्म की गति ही तय करेगी कि तुम किस ओर घसीटे जाओगे। स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है। संतोष सबसे बड़ा धन है। वफादारी सबसे बड़ा संबंध है। छल करोगे तो छल मिलेगा। आज नहीं तो कल मिलेगा। जिओगे जिंदगी सच्चाई से। सुकून हर पल मिलेगा। उपवास हमेशा अन्न का ही क्यों? लोभ, लालच, घृणा, चुगली, क्रोध और गंदे विचारों का भी होना चाहिए। मन का संकल्प और शरीर का पराक्रम यदि किसी काम में पूरी तरह लगा दिया जाए तो सफलता अवश्यती है। भाग्य के दरवाजे पर सर पीटने से बेहतर है कर्मों का तूफान पैदा करें। दरवाजे अपने आप खुल जाएंगे। क्रोध की अवस्था में भ्रम जन्म लेता है। भ्रम बुद्धि को नष्ट कर देता है। बुद्धि के नष्ट होते ही व्यक्ति का पतन हो जाता है। पानी मर्यादा छोड़े तो विनाश होता है। यदि वाणी मर्यादा छोड़े तो सर्वनाश होता है। किसी को धोखा देना एक कर्ज है जो आपको किसी और के हाथों एक दिन जरूर मिलेगा। कलयुग है हमेशा तैयारी के साथ ही रहना। मौसम और इंसान कब बदल जाए इसका कोई भरोसा नहीं। भगवान कहते हैं कि तुम मेरी ओर देखोगे तो मैं भी तुम्हारी ओर देखूंगा। तुम जिस भाव से मुझे याद करोगे उसी भाव से मैं तुम्हारे पास आऊंगा। बदला लेने के लिए मत सोचो। आराम से बैठो। इन लोगों ने आपके साथ बुरा किया है। अंत में उनके साथ भी बुरा ही होगा। इस पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कीमती है समय। इसलिए इसे बर्बाद ना करें। नहीं तो अंत में आपको पछतावे के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। जिंदगी में अपनी तुलना किसी से मत करो। जैसे चांद और सूरज की तुलना नहीं की जा सकती। क्योंकि दोनों ही अपनेपने वक्त पर ही चमकते हैं। 
         यदि किसी काम को करने में डर लगे तो याद रखना डर संकेत है कि आपका काम वाकई में बहादुरी से भरा है। ख्वाब जिनके ऊंचे और मस्त होते हैं। इम्तिहान भी उनके जबरदस्त होते हैं। पहाड़ की ऊंचाई आपको कभी भी आगे बढ़ने से नहीं रोकती बल्कि आपके जूते में पड़े कंकड़ आपको आगे बढ़ने से रोकते हैं। निकाल फेंको उस कंकड़ को। सिर्फ मरी हुई मछली को पानी का बहाव चलाती है। जिस मछली में जान होती है, वह अपना रास्ता खुद बनाती है। अपने हौसलों को यह मत बताओ कि तुम्हारी परेशानी कितनी बड़ी है। अपनी परेशानी को बताओ तुम्हारे हौसले कितने बड़े हैं। सफल वो नहीं जो अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त करें। पुपु की तू किनाताकार बल्कि सफल तो वह है जो अपनी इच्छाओं पर भी विजय प्राप्त करता है। अगर केवल इसलिए आपने अपने सपनों पर काम करना बंद कर दिया है क्योंकि किसी को लगता है कि आप उसे नहीं कर सकते हैं तो वह आपका सपना नहीं है। वह आपकी बस एक छोटी सी इच्छा है। जो लोग आपको नजदीक से नहीं जानते उनकी बातों को दिल पर मत लगाओ। आगे बढ़ो और कुछ करके दिखाओ। जिंदगी में अच्छे लोगों की तलाश मत करो बल्कि खुद अच्छे बन जाओ। आपसे मिलकर शायद किसी की तलाश पूरी हो जाए। यदि आप उड़ नहीं सकते तो दौड़ो। यदि आप दौड़ नहीं सकते तो चलो। अगर चल नहीं सकते तो रेंगो लेकिन हमेशा आगे बढ़ते रहो। एक बार गुरु ने अपने शिष्यों से पूछा क्या आप जानते हैं हमारे अंदर एक बड़ा युद्ध निरंतर चलता रहता है जब सारे शिष्य चुप रहे तब गुरु जी बोले वास्तव में सबसे बड़ी लड़ाई हमारे अंदर दो भेड़ियों की है। एक काला भेड़िया जो क्रोध ईर्ष्या अहंकार दुख लालच चोरी झूठ की भाषा बोलता है। 
        दूसरा सफेद भेड़िया जो आनंद प्रेम दया, विचार और सद्भावना की भाषा बोलता है। इसी लड़ाई के शोर में हम पहले से मौजूद मन की शांति भूलकर उसे कहीं और ढूंढने की कोशिश करते हैं। गुरु ने कहा है हम में से कोई भी इस लड़ाई के शोर से नहीं बचा। यह लड़ाई मेरे अंदर भी चलती है और आपके अंदर भी। शिष्यों ने गुरु की बात ध्यान से सुनी और पूछा, गुरु जी तो इस लड़ाई में जीत किसकी होगी? गुरु जी ने कहा वही भेड़िया जीतेगा जिसे तुम खाना दोगे। खाना देने का मतलब है हमारे पास शक्ति है ध्यान देने की। हम जिस भेड़िए की बातों पर ध्यान देंगे वह बड़ा और ताकतवर होता जाएगा। इसलिए हमेशा क्रोध से पहले दया चुनना चाहिए। लालच से पहले उदारता। चिंता से पहले शांति और स्थिरता जुड़ी होनी चाहिए। और जलन से पहले सद्भावना को चुनना चाहिए। ऐसा करते-करते हमारा मन अपने आप आनंदित रहने लगता है। जैसे शरीर को आराम दिया जाए तो वह खुद ठीक होने लगता है। वैसे ही जब मन को शोर से आराम मिलता है तब वह खुद निर्मल होता जाता है। 
धन्यवाद

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