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हाल ही में सोशल मीडिया और यूट्यूब पर वायरल होती एक खबर ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। दावे किए जा रहे हैं कि
भारत ने पाकिस्तान के "किराना हिल्स" में स्थित उसके गुप्त न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला कर उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। इन दावों में ब्रह्मोस मिसाइलों के इस्तेमाल से लेकर भूकंप आने और रेडिएशन फैलने तक की बातें शामिल हैं। लेकिन सवाल यह उठता है – इसमें कितनी सच्चाई है?
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित किराना हिल्स वह इलाका माना जाता है जहां 1980 के दशक से उसके न्यूक्लियर हथियारों का भंडारण होता रहा है। यह इलाका सरगोधा एयरबेस से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है और माना जाता है कि यहीं पर पाकिस्तान ने भूमिगत बंकरों में अपने न्यूक्लियर हथियार रखे थे।
कथित रिपोर्ट्स और वीडियोज के अनुसार:
- भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल से किराना हिल्स पर हमला किया।
- हमले की ताकत इतनी थी कि रिक्टर स्केल पर 5.0 से अधिक का भूकंप दर्ज हुआ।
- न्यूक्लियर बंकरों को गंभीर नुकसान पहुंचा और रेडिएशन फैलने लगा।
- आसपास के लोगों को तुरंत उस इलाके से हटाया गया।अमेरिका ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए अपना विशेष ‘यूएसबी-350’ विमान पाकिस्तान भेजा, जो न्यूक्लियर रेडिएशन मॉनिटरिंग में सक्षम है।
- मिस्र से "बोरोन" नामक रेडिएशन अवशोषित करने वाली सामग्री भी पाकिस्तान पहुंचाई गई।
अब तक भारत सरकार या भारतीय वायुसेना ने इस तरह की किसी कार्रवाई की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का बयान सामने आया जिसमें किराना हिल्स पर किसी हमले से इनकार किया गया है।
वहीं विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी सैन्य कार्रवाइयों की जानकारी अक्सर गुप्त रखी जाती है और सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं की जाती। लेकिन यह भी सच है कि इतनी बड़ी कार्रवाई की पुष्टि उपग्रह चित्रों, अमेरिकी या चीनी खुफिया रिपोर्ट्स से हो सकती है – जो अभी तक सामने नहीं आई हैं।
कुछ अनौपचारिक रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तानी प्रशासन ने उस क्षेत्र में आम लोगों को हटाने का आदेश दिया है। लेकिन यह भी पूरी तरह से सत्यापित नहीं हुआ है।
अगर इस दावे में जरा भी सच्चाई है, तो यह भारत की सैन्य और तकनीकी क्षमता का बड़ा प्रदर्शन है। एक ऐसा देश जिसने दशकों तक न्यूक्लियर हमले की धमकियों से संयम बनाए रखा, अब अपने दुश्मन के रणनीतिक ठिकानों को लक्षित कर सकता है – वह भी बेहद सटीकता के साथ।
इस वक्त भारत और पाकिस्तान के बीच आधिकारिक युद्ध की स्थिति नहीं है, और किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई की पुष्टि अत्यंत संवेदनशील मामला है। अतः जब तक सरकार या विश्वसनीय स्रोत इसकी पुष्टि नहीं करते, तब तक वायरल खबरों को सिर्फ अनुमान या प्रचार मानना ही समझदारी है।
फिर भी इस प्रकरण से दो बातें साफ होती हैं:
1. भारत अब केवल "सहने" की नीति पर नहीं, बल्कि "सटीक और सर्जिकल जवाब" देने की रणनीति पर चल रहा है।
2. पाकिस्तान की तथाकथित न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग की रणनीति अब शायद उतनी प्रभावी नहीं रही, जितनी कभी हुआ करती थी।
जय हिंद! वंदे मातरम्!
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